Sunday, September 14, 2008

कैसी है वो दीवानी

जिस्म से जान ले गयी वो
दिल से धड़कन ले गयी वो
सिने से साँसे ले गयी वो
आँखों से आँसू ले गयी वो

बसाकर यादो का शहर वो
सारी मीठी मुलाक़ाते ले गयी
खुद ही किए थे जो वादे
खुद ही सारी बाते ले गयी

चीर के मेरे बदन को
अंदर से आत्मा ले गयी
गुजर जाती जिंदगी सोते हुए
लेकिन नींदो से ख्वाब ले गयी

मरते थे मेरे लबो पे
छीनकर होटो से मुसकान ले गयी
कैसी है वो दीवानी
मेरी ज़िंदगी का सबसे कीमती सामान ले गयी